- क्या इससे कम आमदनी वाला वर्ग अपने यंहा पूर्णकालिक रसौईया, ड्राइवर, माली, आया या अन्य कर्मचारियों को रखकर एकाधिक सम्मानजनक रौज़गार उपलब्ध करा सकता है? और यदि यह नहीं हुआ तो फिर हम वह ढाई गुना प्रभाव कैसे उत्पन्न कर सकते हैं?
- क्या हम एक साधारण परिवार के सदस्यों (मां-बाप, दो-तीन बच्चे और दादा-दादी) की संख्या औसतन पांच मान सकते हैं?
- अब फिर से बोरिंग गणित पर आते हैं हमारे नवसमृद्धता की ओर बड़ने वाले व्यक्तियों के परिजनों को मिलाने पर 93470908 * 5 = क्या हम 467354540 की मानव संख्या पर नहीं पहुंच जाते?
- जो क्या हमारे देश की कुल 140 करोड़ आबादी का एक तिहायी नहीं है; या दूसरे शब्दों में देश के हर तीन परिवार में से एक परिवार?
- जो कि बचे हुए दो परिवारों में से कुछ को सीधा रौजगार (रसौईया, ड्राइवर आदि) तो कुछ को अन्य तरह से जैसे फल, सब्जी, किराना, जेवर, वाहन इत्यादि खरीद कर; उनको पैदा करने, ढौने, बेचने, बनाने, संग्रह करने या मरम्मत करने के रौजगार नहीं उपलब्ध करा पायेंगे?
- और हमारी सिर्फ यह नवसमृद्ध आबादी (467354540) दुनिया के समृद्धतम एक या दो या तीन नहीं बल्कि उच्चतम आय वाले पूरे चौदह देशों की सम्मिलित आबादी* (436164599) से भी अधिक नहीं हो जायेगी क्या?
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* उच्चतम आय वाले समृद्धतम राष्ट्र # राष्ट्र आबादी 1 लक्समबर्ग 625448 2 नॉर्वे 5548387 3 स्विट्जरलैंड 8570000 4 आयरलैंड 4937786 5 आइसलैंड 341243 6 कतर 2902417 7 संयुक्त राज्य अमेरिका 334044151 8 डेनमार्क 5789471 9 सिंगापुर 5849157 10 ऑस्ट्रेलिया 25491691 11 स्वीडन 10099265 12 नीदरलैंड 17418465 13 ऑस्ट्रिया 9006398 14 फिनलैंड 5540720 14 कुल 436164599